tag:blogger.com,1999:blog-5197935742392751549.post5614661848927445926..comments2023-08-18T14:46:31.017+05:30Comments on HINDI VANGMAY ALIGARH हिन्दी वाडमय: तुम्हारे बिखराए हुए शब्दशगुफ्ता नियाज़http://www.blogger.com/profile/00029405772313911177noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-5197935742392751549.post-13745470367678819372008-12-01T18:29:00.000+05:302008-12-01T18:29:00.000+05:30और अब उनका दीदार कैसे कराऊँ... वो तो अब मेरे मन को...और अब उनका दीदार कैसे कराऊँ... <BR/>वो तो अब मेरे मन को मथ रहे हैं...<BR/>वो अब मेरी रूह को जज्ब कर रहे हैं....!! <BR/><BR/>बहुत बढ़िया अतुकांत। काफी समय बाद एक अच्छी अकविता पढ़ने का मौका मिला। साधुवाद।तरूश्री शर्माhttps://www.blogger.com/profile/14633011423481155460noreply@blogger.com