नारी चेतना
नगमा जावेद
मैं -
अपने खोये हुए ख्वाबों को
ढूंढ रही हूं -
वो ख्वाब, जो मुझे
ये एहसास देंगे
कि
मैंने तुम्हारे
संगदिल हाथों से
अपने हिस्से की की धूप
छीन ली है।
उन तमाम गुरूओं को समर्पित जिन्होंने मुझे ज्ञान दिया.
नगमा जावेद
मैं -
अपने खोये हुए ख्वाबों को
ढूंढ रही हूं -
वो ख्वाब, जो मुझे
ये एहसास देंगे
कि
मैंने तुम्हारे
संगदिल हाथों से
अपने हिस्से की की धूप
छीन ली है।
© Blogger templates ProBlogger Template by Ourblogtemplates.com 2008
Back to TOP
4 comments:
बहुत खूब
●๋• लविज़ा ●๋•
बहुत बढिया !!
nagma ji kafi khubsurat likha.
waah, naari chetna aour naari adhikaar ki baat khvabo ke jariye...
achcha likha he aapne..
Post a Comment