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उन तमाम गुरूओं को समर्पित जिन्होंने मुझे ज्ञान दिया.

Tuesday, April 7, 2009

जीवन

महेंद्र भटनागर
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जीवन हमारा फूल हरसिंगार-सा
जो खिल रहा है आज,
कल झर जायगा !
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इसलिए,
हर पल विरल
परिपूर्ण हो रस-रंग से,
मधु-प्यार से !
डोलता अविरल रहे हर उर
उमंगों के उमड़ते ज्वार से !
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एक दिन, आख़िर,
चमकती हर किरण बुझ जायगी...
और
चारों ओर
बस
गहरा अँधेरा छायगा !
जीवन हमारा फूल हरसिंगार-सा
जो खिल रहा है आज,
कल झर जाएगा !
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मत लगाओ द्वार अधरों के
दमकती दूधिया मुसकान पर,
हो नहीं प्रतिबंध कोई
प्राण-वीणा पर थिरकते
ज़िन्दगी के गान पर !
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एक दिन
उड़ जायगा सब ;
फिर न वापस आयगा !
जीवन हमारा फूल हरसिंगार-सा
जो खिल रह है आज,
कल झर जायगा !

2 comments:

संगीता पुरी April 7, 2009 at 7:54 AM  

बहुत सुंदर रचना ... बधाई।

परमजीत सिहँ बाली April 7, 2009 at 11:41 AM  

बहुत बढिया रचना प्रेषित की है।बधाई।

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