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उन तमाम गुरूओं को समर्पित जिन्होंने मुझे ज्ञान दिया.

Sunday, May 10, 2009

वस्तु-स्थिति

महेंद्र भटनागर

सर्वत्र
कड़वाहट सुलभ
दुर्लभ मधुरता !
सर्वत्र
घबराहट प्रकट
जीवट विरलता !
सर्वत्र
झुलझलाहट-प्रदर्शन
लुप्त स्थिरता !
सर्वत्र
आडम्बर-बनावट
दूर कोसों वास्तविकता !
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