तब और अब
नदीम अहमद नदीम
रशीद मियां नींद की आगोश में शायद गये ही होंगे कि सियाराम राधेश्याम' के उद्घोष से अचानक नींद खुल गई। घर के दूसरे लोग भी आंखें मलते हुए उठ बैठे।
माजरा समझते देर नहीं लगी। उनके पड़ौसी सीतारामजी के घर पर जागरण का कार्यक्रम शुरू हुआ है जो सुबह पांच बजे तक चलना है। डीजे स्पीकरों के मुंह अपने घर की दिशा में देखकर रशीद मियां की बीवी ने उनकी जानिब देखा। रशीद मियां बोले, चार दिन पहले जब हमारे घर पर मिलाद का कार्यक्रम था तब सीताराम के परिवार ने भी पूरी रात जागते हुए ही काटी थी उसी तरह आज हम रात जागते हुए बितायेंगे।
रशीद मियां नींद की आगोश में शायद गये ही होंगे कि सियाराम राधेश्याम' के उद्घोष से अचानक नींद खुल गई। घर के दूसरे लोग भी आंखें मलते हुए उठ बैठे।
माजरा समझते देर नहीं लगी। उनके पड़ौसी सीतारामजी के घर पर जागरण का कार्यक्रम शुरू हुआ है जो सुबह पांच बजे तक चलना है। डीजे स्पीकरों के मुंह अपने घर की दिशा में देखकर रशीद मियां की बीवी ने उनकी जानिब देखा। रशीद मियां बोले, चार दिन पहले जब हमारे घर पर मिलाद का कार्यक्रम था तब सीताराम के परिवार ने भी पूरी रात जागते हुए ही काटी थी उसी तरह आज हम रात जागते हुए बितायेंगे।
3 comments:
je to achchi baat hai.....
सुन्दर परस्पर सहृदयता
मेरे ब्लॉग पर पधार कर "सुख" की पड़ताल को देखें पढ़ें आपका स्वागत है
http://manoria.blogspot.com
ऐसी कहानियों को हकीकत बनाकर ऐसे सुंदर उदाहरण समाज के सामने लाए जाने चाहिए....बहुत सुंदर।
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