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उन तमाम गुरूओं को समर्पित जिन्होंने मुझे ज्ञान दिया.

Wednesday, April 1, 2009

क्यों?????

- शैफाली
मैं कई सदियों तक जीती रही
तुम्हारे विचारों का घूंघट
अपने सिर पर ओढे,
मैं कई सदियों तक पहने रही
तुम्हारी परम्पराओं का परिधान,
कई सदियों तक सुनती रही
तुम्हारे आदेशों को,
दोहराती रही तुम्हारे कहे शब्द,
कोशिश करती रही तुम जैसा बनने की।

तुम्हारे शहर में निकले चाँद को
पूजती रही चन्द्र देवता के रूप में
बच्चों को सिखाती रही
चँदा मामा कहना।
हर रस्म, हर रिवाज़ को पीठ पर लादे,
मैं चलती रही कई मीलों तक
तुम्हारे साथ.........।

मगर मैं हार गई.....
मैं हार गई,
मैं रोक नहीं सकी
तुम्हारे विचारों को सिर से उड़ते हुए
और मैं निर्लज्ज कहलाती रही,
मैंने उतार दिया
तुम्हारे परम्पराओं का परिधान
और मैं निर्वस्त्र कहलाती रही,
मैं मूक बधिर-सी गुमसुम–सी खड़ी रही कोने में,
तुम देखते रहे मुझको सबसे जुदा होते हुए।

मैं नहीं बन सकी
तुम्हारे शहर की एक सच्ची नागरिक,
तुम्हारे चन्द्र देवता की चाँदनी
मुझको रातों बहकाती रही,
मैं चुप रही,
खामोश घबराई-सी,
बौखलाई-सी, निर्विचार, संवेदनहीन होकर।
आज मैने उतार कर रख दिए
वो सारे बोझ
जिसे तुमने कर्तव्य बोलकर
डाले थे मेरी पीठ पर
मैं जीती रही बाग़ी बनकर,
तुम देखते रहे खामोश।

और अब जब मैं पहनना चाहती हूँ
आधुनिकता का परिधान,
तुम्हारे ही शहर में
नए विचारों की चुनरिया जब लपेटती हूँ देह पर,
तुम्हें नज़र आती है उसकी पार्दर्शिता।

जब मैं कहती हूँ धीरे से
घबराए शब्दों में अपने जीवन की नई परिभाषा,
चाँद को छूने की हसरत में
जब मैं कोशिश करती हूँ
नई परम्पराओं के पर लगाने की,
समय का हाथ थामे
मैं जब चलना चाहती हूँ
तुम्हारे चेहरे पर उभरा
एक प्रश्न चिह्न शोर मचाता है.....
क्यों?

3 comments:

डॉ. मनोज मिश्र April 1, 2009 at 6:34 PM  

बहुत सारे सवालों और जबाबों के साथ है ये रचना .सुंदर सृजन .

अजय कुमार झा April 1, 2009 at 8:31 PM  

bahut badhiyaa, bilkul alag anaaj mein likhaa hai aapne aur yakeen maaniye hamein pasand bhee khoob aayaa.

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) April 6, 2009 at 8:40 AM  

sach to yah hai ki aadmi kaa doglapan use sahi tarah se sochne hi nahin deta...dekhne hi nahin deta... yahi kaaran hai...ki ek taraf to ek maanyata banata hai...doosri taraf agle hi kshan vo use galat lagne lagti hai....use tod kar vah phir dusri maanyata banata hai...aur yahi aadmi ke saath sadiyon se ho rahaa hai....!!

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