जिन्दगी की डाल पर
धर्मवीर भारती
जिन्दगी की डाल पर
कण्टकों के जाल पर-काश एक फूल-सा मैं भी अगर फूलता !
कोयलों से सीखता जिन्दगी के मधुर गीत
बुलबुलों से पालता हिलमिल कर प्रेम प्रीत
पत्तियों के संग झूम
तितलियों के पंख चूम
चाँदी भरी रातों में-
चन्द्र किरण डोर का डाल कर मृदुल हिण्डोला।
कलियों के संग-संग धीमे-धीमे झूलता !
-काश एक फूल-सा मैं भी अगर फूलता !
किरनें बन जाता मैं स्वर्णिम मधुमास में
शबनम उलझाता मैं मखमल की घास में
नेह से निथार कर
दोनों नयनों में प्यार की शराब भर
जिन्दगी के प्यासों के सूखे होठ सींचता।
उनके तन में बसी हुई टीस-पीर खींचता
उनके दिल का दर्द हर-उनके दिल का घाव भर
खुशी के खुमार में
मैं भी अपने दुख-दर्द की कहानी भूलता !!
-काश एक फूल-सा मैं भी अगर फूलता !!
1 comments:
मैं भी अपने दुख-दर्द की कहानी भूलता !!
-काश एक फूल-सा मैं भी अगर फूलता !!
bahut sundar bharti ji badhai apko.
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