"शीशा-ऐ-दिल"
Seema gupta
ये माना शीशा-ऐ-दिल ,
रौनके-बाज़ारे- उलफ़त है !
मगर जब टूट जाता है,
तो क़ीमत और होती है !!
उन तमाम गुरूओं को समर्पित जिन्होंने मुझे ज्ञान दिया.
Seema gupta
ये माना शीशा-ऐ-दिल ,
रौनके-बाज़ारे- उलफ़त है !
मगर जब टूट जाता है,
तो क़ीमत और होती है !!
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5 comments:
bahut gahra khayal hai
bahut khub
खूब लिखा आपने... और तोडने वाला भी कोई करीबी ही होता है..या खुद
मेरा अजम इतना बुलंद है कि पराये शोलों का डर नहीं
मुझे खौफ़ आतिशे-गुल से है कहीं ये चमन को जला न दे
शगुफ़्ता जी,
मुझे यही शेर थोडा आगे जाने पर यहां http://bikhreyseafsaney.blogspot.com/2008/11/blog-post_11.html मिला... यह शेर किसका है कुछ रोशनी डालेंगी
"aap sbhee ka bhut bhut shukriya, apne preceious comments ke liye, mohinder jee is sher pr upeer Dr. shaguftaa jee ne name maira hee likha hai....Dr shagufta jee aapne blog pr muje jgeh daine ka bhut bhut shukriya...
http://bikhreyseafsaney.blogspot.com/
regards
seema gupta
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