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उन तमाम गुरूओं को समर्पित जिन्होंने मुझे ज्ञान दिया.

Monday, December 1, 2008

जीवन कि मंजिल का पता कैसे पायें !!

RAJEEV THEPRA


जीवन की मंजिल का पता हम कैसे पायें
इस मंजिल के पीछे जान निकल न जाए !!
आपस में भागा-दौडी,कितनी भागा-भागी,
डरते हैं कि हम रब को कहीं भूल न जाएँ !!
करता हूँ सबसे मुहब्बत,ये है सच्चा सौदा ,
मुहब्बत ही तो रब है,रब से क्या शर्मायें !!
भूखे हैं पेट जिनके,जो रहते हैं बे ठिकाने ,
सोचूं हूँ तो अक्सर ये आँखे हैं भर आयें !!
सोना-जागना-खाना-खेलना-सोचना-बतियाना,
जीवन गर यही है,जीवन से बाज आयें !!
जीने की खातिर करनी पड़े अगर बेईमानी ,
इससे तो बेहतर है कि आदम ही मर जाए !!
आदम के बारे में सोचूं,आदम की बातें करूँ,
जाना कहाँ आदम को,आदम जान ना पाए !!
जीवन की खातिर हैं हम,क्या है जीवन हमारा,
उम्र इक घुन है"गाफिल",उम्र भर खाती ही जाए !!

2 comments:

Ashish Khandelwal December 1, 2008 at 10:24 AM  

बहुत खूब... अगली पोस्ट का इंतजार है..

Udan Tashtari December 1, 2008 at 11:52 AM  

भूखे हैं पेट जिनके,जो रहते हैं बे ठिकाने ,
सोचूं हूँ तो अक्सर ये आँखे हैं भर आयें !!


-बढ़िया है.

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