VIJAY KUMAR SAPPATTIदिल बीती बातें याद करता रहायादों का चिराग रातभर जलता रहानज़म का एक एक अल्फाज़ चुभता रहादिल बीती बातें याद करता रहाजाने किसके इन्तेजार मेशब्बा ऐ सफर कटता रहाजो गीत तुमने छेड़े थेरात भर मैं वह गुनगुनाता रहादिल बीती बातें याद करता रहा
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