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उन तमाम गुरूओं को समर्पित जिन्होंने मुझे ज्ञान दिया.

Tuesday, December 30, 2008

मसीहा

फ़ैज़ अहमद फैज़



बेदम हुए बीमार दवा क्यों नहीं देते

तुम अच्छे मसीहा हो शिफ़ा1 क्यों नहीं देते

दर्दे-शबे-हिज्राँ2 की जज़ा3 क्यों नहीं देते
ख़ूने दिले बहशी4 का सिला5 क्यों नहीं देते

मिट जाएगी मख़लूक़6 तो इंसाफ़ करोगे
मुन्सिफ़7 हो तो अब हश्र उठा क्यों नहीं देते

हाँ नुक्ता-वरो8 लाओ लबो-दिल की गवाही
हाँ नग़मागरो साज़े-सदा क्यों नहीं देते

पैमाने-जुनूँ9 हाथों को शरमाएगा कब तक
दिलवालों गिरेबाँ का पता क्यों नहीं देते

बरबादिए-दिल जब्र नहीं ‘फ़ैज़’ किसी का
वो दुश्मने-जाँ है तो भुला क्यों नहीं देते

1. रोग से छुटकारा 2. जुदाई की रात का दर्द 3. बदला 4. सिरफिरे या पागल व्यक्ति द्वारा किया गया खूनख़राबा 5. बदला या प्रतिकार6. जीव, दुनिया7. न्यायकर्ता 8. मीन-मेख निकालने वाले9. पागलपन की प्रतिज्ञा

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