तू जो मिल जाए
SEEMA GUPTA
कब से ढूढा है तुझे ,
गलियों में चोराहों पर,
तु जो मिल जाए तो ...
इस शहर को अपना कह दुं
जा रहा है ये रवां वक़्त
जनाजे जैसा.....
दो ज़रा वक़्त के फिर से
तुम्हें मिलना कह दुं,
मेरी जान याद तेरीआ के है तडपाती बहुत
तु जो मिलती है हकीकत है
"की सपना कह दुं "
2 comments:
बहुत खूब...वाह...बेहतरीन नज़्म...
नीरज
बेहतरीन नज़्म...बधाई
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