आप सभी का स्वागत है. रचनाएं भेजें और पढ़ें.
उन तमाम गुरूओं को समर्पित जिन्होंने मुझे ज्ञान दिया.

Saturday, December 27, 2008

तू जो मिल जाए

SEEMA GUPTA


कब से ढूढा है तुझे ,

गलियों में चोराहों पर,

तु जो मिल जाए तो ...

इस शहर को अपना कह दुं

जा रहा है ये रवां वक़्त

जनाजे जैसा.....

दो ज़रा वक़्त के फिर से

तुम्हें मिलना कह दुं,

मेरी जान याद तेरीआ के है तडपाती बहुत

तु जो मिलती है हकीकत है

"की सपना कह दुं "

2 comments:

नीरज गोस्वामी December 27, 2008 at 8:52 PM  

बहुत खूब...वाह...बेहतरीन नज़्म...
नीरज

समयचक्र December 27, 2008 at 9:40 PM  

बेहतरीन नज़्म...बधाई

About This Blog

  © Blogger templates ProBlogger Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP