GAZAL
बशीर बद्र
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा
इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जायेगा
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जायेगा
कितनी सच्चाई से मुझसे ज़िन्दगी ने कह दिया
तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जायेगा
मैं खुदा का नाम लेकर पी रहा हूँ दोस्तों
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जायेगा
सब उसी के हैं हवा, ख़ुशबू, ज़मीन-ओ-आसमाँ
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जायेगा
3 comments:
बहुत बढ़िया !
घुघूतीबासूती
हर शेर लाजवाब वाह वाह
ये ग़ज़ल तो उम्दा है ही और जगजीत सिंह ने इसे गाई भी बहुत बढ़िया है।
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