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उन तमाम गुरूओं को समर्पित जिन्होंने मुझे ज्ञान दिया.

Tuesday, December 23, 2008

GAZAL

बशीर बद्र


सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा
इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जायेगा

हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जायेगा

कितनी सच्चाई से मुझसे ज़िन्दगी ने कह दिया
तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जायेगा

मैं खुदा का नाम लेकर पी रहा हूँ दोस्तों
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जायेगा

सब उसी के हैं हवा, ख़ुशबू, ज़मीन-ओ-आसमाँ
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जायेगा

3 comments:

ghughutibasuti December 23, 2008 at 11:47 PM  

बहुत बढ़िया !
घुघूतीबासूती

Prakash Badal December 24, 2008 at 1:29 AM  

हर शेर लाजवाब वाह वाह

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी December 24, 2008 at 5:00 AM  

ये ग़ज़ल तो उम्दा है ही और जगजीत सिंह ने इसे गाई भी बहुत बढ़िया है।

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