एक शाम और ढली
SEEMA GUPTA
राह पे टकटकी लगाये ..
अपने उदास आंचल मे
सिली हवा के झोकें ,
धुप मे सीके कुछ पल ,
सुरज की मद्धम पडती किरणे,
रंग बदलते नभ की लाली ,
सूनेपन का कोहरा ,
मौन की बदहवासी ,
तृष्णा की व्याकुलता,
अलसाई पडती सांसों से ..
उल्जती खीजती ,
तेरे आहट की उम्मीद ,
समेटे एक शाम और ढली ....
2 comments:
bahut khoob , kya baat hai , saare ke saare happenings ko ek aahat ke intjaar mein la kar khatm kiye
wah seema bahut khub .
very good.
regards
vijay
B : http://poemsofvijay.blogspot.com
DR.Shagufta Niyaz jeee thanks a lot for presenting my poem here.
Regards
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