अशोक चक्रधर
एकाएक मंत्री जी
कोई बात सोचकर
मुस्कुराए,
कुछ नए से
भाव उनके चेहरे पर आए।
उन्होंने अपने पी.ए. से पूछा—
क्यों भई,
ये डैमोक्रैसी
क्या होती है ?
पी.ए. कुछ झिझका सकुचाया, शर्माया।
-बोलो, बोलो
डैमोक्रैसी क्या होती है ?
-सर, जहां
जनता के लिए
जनता के द्वारा
जनता की
ऐसी-तैसी होती है,
वहीं डैमोक्रैसी होती है।
1 comments:
kya sahi kavita hai
ekdum aaj ke haalat par likhi gayi hai ..
shukriya
vijay
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