महिला कथा लेखन और नारी संत्रास के विविध रूप
बबिता के
महिलाओं की समस्याओं को आधार बनाकर महिलाओं द्वारा निर्मित लेखन समकालीन हिन्दी साहित्य में एक रोचक एवं दिलचस्प विधा के रूप में दृष्टिगत है। बंगमहिला से लेकर अनेक लेखिकाओं ने अपनी साहित्यिक कृतियों के जरिए नारी मुक्ति के विचारों को महिला जगत में पूरी तरह फैलाकर महिलाओं में जागृति लाने का कार्य किया है। शिक्षा, विदेशी प्रभाव, रोजगार आदि को लेकर भारतीय नारी के बदलते परिवेश आधुनिक महिला कथा लेखन में प्रतिफलित है। पुरुष के रू-ब-रू होकर मानवीय संदर्भ में अपनी अतीत और वर्तमान की विसंगितयों को ध्वस्त कर सुखद भविष्य के नींव धरने की सुकून भरी चाहत यही तो है महिला कथा लेखन।’’1
परंपरा एवं आधुनिकता, संस्कार, शिक्षा को लेकर आज की नारी विवश है। कथनी और करनी के अन्तर ने स्त्री के जीवन में जितना वैषम्य लाया है उसे उसका जागरूक मन पहचान नहीं सकता। वह अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रही है। आत्मान्वेषण की अदम्य चाह या अपनी पीड़ाओं, कुंठाओं से मुक्ति का आग्रह समकालीन महिला कथा लेखन के मूल में है। डाॅ. राजकुमारी गड़कर के अनुसार- स्त्री की स्थितियों को स्वयं स्त्री वर्णित करती है तो उसका प्रभाव और उसकी रियेलिटी पूरी भिन्न होती है इसी अर्थ और संदर्भ में महिला उपन्यास लेखन को देखना चाहिए।2
स्वांतत्रयोत्तर महिला लेखिकाओं ने नैतिक मूल्यों के प्रति जागृत होकर हिन्दी कथा साहित्य को नयी दिशा देने का प्रयत्न किया। मन्नू भंडारी, कृष्णा सोबती, उषा प्रियंवदा, मृदुला गर्ग, ममता कालिया, चित्रा मुद्गल, सूर्यबाला, मालती जोशी, प्रभा खेतान, मैत्रोयी पुष्पा आदि लेखिकाओं ने अपनी रचनाओं के माध्यम से स्त्री की साहसिकता का परिचय देकर उसकी मानसिक पीडा को बहुत ही मार्मिक ढंग से अभिव्यक्ति दी है। आज महिला लेखन के समक्ष अनेक चुनौतियां हैं। कृष्णा सोबती ने मित्रों मरजानी के माध्यम से एक स्त्री की साहसिकता व्यक्त की है। उनकी मित्रों ऐसी एक पात्रा है जो नैतिकता का आडंबर छोड़कर अपनी दैहिक जर$रतों की अभिव्यक्ति खुलकर की है। मृदुला गर्ग का चितकोबरा, नासिरा शर्मा का शाल्मली, प्रभा लेखन का छिन्नमस्ता आदि नारी की विभिन्न समस्याओं को अभिव्यक्त करने वाले उपन्यास हैं। मृदुला गर्ग का उपन्यास मैं और मैं एक महिला लेखिका के ज़िन्दगी की संघर्ष को चित्रित करने वाला उपन्यास है। पारिवारिक जिम्मेदारियां और लेखन के द्वन्द्व के बीच फंसी नारी की विवशता का यथार्थ चित्राण इसमें है। मैत्रोयी पुष्पा का चर्चित उपन्यास इदन्नमम स्त्री संघर्ष का जीवन्त दस्तावेज कहा जाता है। वैश्विक तथा भारतीय परिवेश में स्त्री शोषण की कहानी सुनाने वाला और एक उपन्यास है-कठगुलाब। कठगुलाब के सभी पुरुषों द्वारा पीड़ित एवं प्रताड़ित दिखाया गया हैं।
आधुनिक काल की बदलती हुई परिस्थितियों के कारण स्त्री का भी सर्वांगीण विकास हुआ। वह घर से बाहर आने लगी। पुरुष पर ज्यादा निर्भर रहना उसे पसन्द न आया। परिणामतः पति पत्नी में से झगड़ा शुरू हो गया। एक दूसरे को सहना मुश्किल हो गया तो तलाक का प्रश्न भी सामने आया। मन्नू भंडारी का उपन्यास आपका बंटी दाम्पत्य जीवन की समस्याओं को विषय बनाया गया उपन्यास हैं। दोनों की अहंवादी प्रकृति के कारण दाम्पत्य जीवन की समस्याएं शुरू होती है। मृदुला गर्ग की दो एक फूल कहानी
शेष भाग पत्रिका में..............
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